आयुर्वेदिक ज्ञान

पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार संचार की प्राचीनतम् पुस्तक ऋग्वेद है। विभिन्न विद्वानों ने इसका रचना काल ईसा के ३,००० से ५०,००० वर्ष पूर्व तक का माना है। इस संहिता में भी आयुर्वेद के अतिमहत्त्व के सिद्धान्त यत्र-तत्र विकीर्ण है। चरक, सुश्रुत, काश्यप आदि मान्य ग्रन्थ आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद मानते हैं। इससे आयुर्वेद की प्राचीनता सिद्ध होती है। अतः हम कह सकते हैं कि आयुर्वेद की रचनाकाल ईसा पूर्व ३,००० से ५०,००० वर्ष पहले यानि सृष्टि की उत्पत्ति के आस-पास या साथ का ही है।

Tuesday, June 18, 2019

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां | Ayurvedic Herbs in Hindi

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां | Ayurvedic Herbs in Hindi

Read more »
at June 18, 2019 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

आयुर्वेद का अवतरण

आयुर्वेद का अवतरण

चरक मतानुसार (आत्रेय सम्प्रदाय)

आयुर्वेद के ऐतिहासिक ज्ञान के सन्दर्भ में सर्वप्रथम ज्ञान का उल्लेख,चरक मत के अनुसार मृत्युलोक में आयुर्वेद के अवतरण के साथ- अग्निवेश का नामोल्लेख है। सर्वप्रथम ब्रह्मा से प्रजापति ने, प्रजापति से अश्विनी कुमारोंने, उनसे इन्द्र ने और इन्द्र से भारद्वाज ने आयुर्वेद का अध्ययन किया। च्यवन ऋषि का कार्यकाल भी अश्विनी कुमारों का समकालीन माना गया है। आयुर्वेद के विकास मे ऋषि च्यवन का अतिमहत्त्वपूर्ण योगदान है। फिर भारद्वाज ने आयुर्वेद के प्रभाव से दीर्घ सुखी और आरोग्य जीवन प्राप्त कर अन्य ऋषियों में उसका प्रचार किया। तदनन्तर पुनर्वसु आत्रेय ने अग्निवेश, भेल, जतू, पाराशर, हारीत और क्षारपाणि नामक छः शिष्यों को आयुर्वेद का उपदेश दिया। इन छः शिष्यों में सबसे अधिक बुद्धिमान अग्निवेश ने सर्वप्रथम एक संहिता का निर्माण किया- अग्निवेश तंत्र का जिसका प्रतिसंस्कार बाद में चरक ने किया और उसका नाम चरकसंहिता पड़ा, जो आयुर्वेद का आधार स्तंभ है।

सुश्रुत मतानुसार (धन्वन्तरि सम्प्रदाय)

सुश्रुत के अनुसार काशीराज दिवोदास के रूप में अवतरित भगवान धन्वन्तरि के पास अन्य महर्षिर्यों के साथ सुश्रुत जब आयुर्वेद का अध्ययन करने हेतु गये और उनसे आवेदन किया। उस समय भगवान धन्वंतरि ने उन लोगों को उपदेश करते हुए कहा कि सर्वप्रथम स्वयं ब्रह्मा ने सृष्टि उत्पादन पूर्व ही अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद को एक सहस्र अध्याय- शत सहस्र श्लोकों में प्रकाशित किया और पुनः मनुष्य को अल्पमेधावी समझकर इसे आठ अंगों में विभक्त कर दिया। इस प्रकार धन्वंतरि ने भी आयुर्वेद का प्रकाशन ब्रह्मदेव द्वारा ही प्रतिपादित किया हुआ माना है। पुनः भगवान धन्वन्तरि ने कहा कि ब्रह्मा से दक्ष प्रजापति, उनसे अश्विनीकुमार द्वय तथा उनसे इन्द्र ने आयुर्वेद का अध्ययन किया।


आयुर्वेद का काल-विभाजन

आयुर्वेद के इतिहास को मुख्यतया तीन भागों में विभक्त किया गया है -

संहिताकाल

संहिताकाल का समय 5वीं शती ई.पू. से 6वीं शती तक माना जाता है। यह काल आयुर्वेद की मौलिक रचनाओं का युग था। इस समय आचार्यो ने अपनी प्रतिभा तथा अनुभव के बल पर भिन्न-भिन्न अंगों के विषय में अपने पाण्डित्यपूर्ण ग्रन्थों का प्रणयन किया। आयुर्वेद के त्रिमुनि-चरक, सुश्रुत और वाग्भट, के उदय का काल भी सं हिताकाल ही है। चरक संहिता ग्रन्थ के माध्यम से काययिकित्सा के क्षेत्र में अद्भुत सफलता इस काल की एक प्र मुख विशेषता है।

व्याख्याकाल

इसका समय 7वीं शती से लेकर 15वीं शती तक माना गया है तथा यह काल आलोचनाओं एवं टीकाकारों के लिए जाना जाता है। इस काल में संहिताकाल की रचनाओं के ऊपर टीकाकारों ने प्रौढ़ और स्वस्थ व्याख्यायें निरुपित कीं। इस समय के आचार्य डल्हड़ की सुश्रुत संहिता टीका आयुर्वेद जगत् में अति महत्वपूर्ण मानी जाती है।
शोध ग्रन्थ ‘रसरत्नसमुच्चय’ भी इसी काल की रचना है, जिसे आचार्य वाग्भट ने चरक और सुश्रुत संहिता और अनेक रसशास्त्रज्ञों की रचना को आधार बनाकर लिखा है।

विवृतिकाल

इस काल का समय 14वीं शती से लेकर आधुनिक काल तक माना जाता है। यह काल विशिष्ट विषयों पर ग्रन्थों की रचनाओं का काल रहा है। माधवनिदान, ज्वरदर्पण आदि ग्रन्थ भी इसी काल में लिखे गये। चिकित्सा के विभिन्न प्रारुपों पर भी इस काल में विशेष ध्यान दिया गया, जो कि वर्तमान में भी प्रासंगिक है। इस काल में आयुर्वेद का विस्तार एवं प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है।
स्पष्ट है कि आयुर्वेद की प्राचीनता वेदों के काल से ही सिद्ध है। आधुनिक चिकित्सापद्धति में सामाजिक चिकित्सा पद्धति को एक नई विचारधरा माना जाता है, परन्तु यह कोई नई विचारधारा नहीं अपितु यह उसकी पुनरावृत्ति मात्र है, जिसका उल्लेख 2500 वर्षों से भी पहले आयुर्वेद में किया गया है।
at June 18, 2019 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest
Home
Subscribe to: Posts (Atom)

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां | Ayurvedic Herbs in Hindi

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां | Ayurvedic Herbs in Hindi

  • आयुर्वेद का अवतरण
    आयुर्वेद का अवतरण चरक मतानुसार (आत्रेय सम्प्रदाय) आयुर्वेद के ऐतिहासिक ज्ञान के सन्दर्भ में सर्वप्रथम ज्ञान का उल्लेख,चरक मत के ...
  • आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां | Ayurvedic Herbs in Hindi
    आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां | Ayurvedic Herbs in Hindi

Search This Blog

  • Home

About Me

Ayurvedagyan
View my complete profile

Report Abuse

Blog Archive

  • June 2019 (2)
Ethereal theme. Powered by Blogger.